माघ
- मनस्वी पुरुष पर्वत के समान ऊँचे और समुद्र के समान गंभीर होते हैं। उनका पार पाना कठिन है। - माघ
- कुशल पुरुष की वाणी प्रतिकूल बोलनेवाले प्रबुद्ध वक्ताओं को मूक बना देती है और पक्ष में बोलने वाले मंदमति को निपुण। - माघ
- जहाँ प्रकाश रहता है वहाँ अंधकार कभी नहीं रह सकता। - माघ्र
ap ne bohat acha blog likha hai.
ReplyDeletemaine ap ke blog se kush post copy kar ke
kuchkhaskhabar.blogspot.com par poast keya hai..