2011 के अनमोल विचार
- “अगर आप के पास आज का काम ठीक से करने का वक़्त नहीं है तो आपके पास इसे फिर से करने का समय कब होगा?”
- “उत्कृष्टता की सिद्धि तब नहीं होती जब कुछ और जोड़ना या लगाना बाकी नहीं रह जाए, बल्कि तब होती है जब कुछ हटाने के लिये नहीं बचे।”
- “अपनी सामर्थ्य का पूर्ण विकास न करना दुनिया में सबसे बड़ा अपराध है. जब
आप अपनी पूर्ण क्षमता के साथ कार्य निष्पादन करते हैं, तब आप दूसरों की
सहायता करते हैं.”
- “अपनी बढ़ाई रण में जाते वक़्त नहीं बल्कि वापस आते वक़्त करें।”
- “अधिक ध्यान उस पर दें जो आपके पास है, उस पर नहीं जो आपके पास नहीं है।”
- “याद रखें कि भविष्य एक बार में एक दिन करके आता है.”
- “है न यह अजीब बात कि हम उन चीज़ों के बारे में सब से कम बात करते हैं जिन के बारे में हम सब से अधिक सोचते हैं।”
- “व्यवहार कुशलता उस कला का नाम है कि आप महमानों को घर जैसा आराम दें और मन ही मन मनाते भी जाएं कि वे अपनी तशरीफ उठा ले जाएं।”
- “मुझे जीवन से प्यार है, क्योंकि और है ही क्या।”
- “विवाह के बंधन दूसरे बंधनों जैसे हैं - इन्हें मजबूत होने में वक़्त लगता है।
- “धन से आज तक किसी को खुशी नहीं मिली और न ही मिलेगी. जितना अधिक व्यक्ति
के पास धन होता है, वह उससे कहीं अधिक चाहता है. धन रिक्त स्थान को भरने के
बजाय शून्यता को पैदा करता है.”
- “जीवन में दो मूल विकल्प होते हैं: स्थितियों को उसी रूप में स्वीकार करना
जैसी वे हैं, या उन्हें बदलने का उत्तरदायित्व स्वीकार करना.”
- “बीमारी की कड़वाहट से व्यक्ति स्वास्थ्य की मधुरता समझ पाता है.”
- “चिंता के समान शरीर का नाश करने वाला और कुछ नहीं है, सो जिसे भी ईश्वर
में जरा भी विश्वास हो उसे किसी बात की चिंता करने की ज़रूरत नहीं.”
- “मजबूरी की स्थिति आने से पहले ही परिवर्तन कर लें.”
- “गुणवत्ता की कसौटी बनें. कई लोग ऐसे वातावरण के अभ्यस्त नहीं होते जहां उत्कृष्टता अपेक्षित होती है.”
- “जीवन को कुछ हम बनाते हैं, और कुछ वे मित्र जो हम चुनते हैं।”
- “ईश्वर को आसमान में न ढूंढें; अपने भीतर ढूंढें।”
- “प्रेम ही है जो बेंच के दोनों किनारों पर जगह खाली होने पर भी दो लोगों को बीच में खींच लाती है।”
- “प्यार कभी निष्फल नहीं होता; चरित्र कभी नहीं हारता; और धैर्य और दृढ़ता से सपने अवश्य सच हो जाते हैं.”
- “जब आप अपने मित्रों का चयन करते हैं तो चरित्र के स्थान पर व्यक्तित्व को न चुनें.”
- “बच्चों को बड़ा कर स्वस्थ और प्रसन्न इंसान बनाना ही मेरे लिए सफलता है।”
- “माता पिता अपने बच्चों को उत्तरदान में धन दौलत नहीं, बल्कि श्रद्धा की भावना दें।”
- “हम हमारे जीवन के हर दिन अपने बच्चों की यादों के पिटारे में धरोहर सौंपते हैं।”
- “असफलता का डर ही सफलता में सबसे बड़ा रोड़ा है।”
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