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कहावत लोकोक्ति मुहावरे 2

कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ
1- ककड़ी-खीरा समझना। अर्थ - किसी व्यक्ति को नगण्य या तुच्छ समझना।
2- कच्चा चिट्ठा खोलना। अर्थ - सबके सामने सब भेद खोल देना।
3- काठ की हांडी बार बार नहीं चढ़ती। अर्थ - लकड़ी की हंडिया बार बार नहीं चढ़ती। किसी व्यक्ति को एक बार ही मूर्ख बनाया जा सकता है, बार-बार नहीं।
4- कंगाली में आटा गीला। अर्थ - नुक़सान पर नुक़सान होना।
5- कंधे से कंधा छिलना। अर्थ - भारी भीड़ का होना, मेलों में यात्रियों का कंधे से कंधे छिलता है।
6- काहे पंडित पढ़ि पढ़ि भरो, पूस अमावस की सुधि करो। अर्थ - यदि पूस माह की दशमी को घटा छायी हो तो सावन माह की दशमी को चारों दिशाओं में वर्षा होगी।
7- कन्या धान मीनै जौ। जहां चाहै तहंवै लौ।। अर्थ - कन्या राशि की संक्रान्ति होने पर धान (कुमारी) और मीन राशि की संक्रान्ति होने पर जौ की फ़सल काटनी चाहिए।
8- कुलिहर भदई बोओ यार। तब चिउरा की होय बहार।। अर्थ - कुलिहर (पूस-माघ में जोते हुए) खेत में भादों में पकने वाला धान बोने से चिउड़े का आनन्द आता है- अर्थात वह धान उपजता है।
9- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। अर्थ - एक गंदी मछली सारे तालाब को गंदा कर देती है।
10- कंगाली में आटा गीला। अर्थ - एक मुसीबत पर दूसरी मुसीबत आ जाना।
11- ककड़ी के चोर को फाँसी नहीं दी जाती। अर्थ - छोटे अपराध के लिए बहुत कड़ा दंड उचित नहीं होता है।
12- कचहरी का दरवाज़ा खुला है। अर्थ - सभी के लिए न्याय का रास्ता खुला है,न्याय के लिए न्यायालय में जाना चाहिए।
13- कड़ाही से गिरा चूल्हे में पड़ा। अर्थ - छोटी विपत्ति से छूटकर बड़ी विपत्ति में पड़ जाना।
14- कबीर दास की उलटी बानी, बरसे कंबल भीगे पानी। अर्थ - उलटी बात करना।
15- क़ब्र में पाँव लटकाए बैठा है । अर्थ - मरणासन्न ।
16- कभी दिन बड़े कभी रात। अर्थ - सब दिन एक समान नहीं होते।
17- कभी नाव गाड़ी पर, कभी गाड़ी नाव पर। अर्थ - हालात बदलते रहते हैं।
18- कमली ओढ़ने से फ़कीर नहीं होता। अर्थ - ऊपरी वेशभूषा से किसी के अवगुण नहीं छिप जाते।
19- कमान से निकला तीर और मुँह से निकली बात वापस नहीं आती। अर्थ - बात सोच- समझकर करनी चाहिए।
20- करत-करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान अर्थ - प्रयत्न करते रहना चाहिए, सफलता अवश्य मिलेगी।
21- करम के बलिया, पकाई खीर हो गया दलिया। अर्थ -
22- करमहीन खेती करे, बैल मरे या सूखा पड़े। अर्थ - दुर्भाग्य हो तो किसी न किसी कारण से काम ख़राब होता रहता है।
23- कर ले सो काम ,भज ले सो राम। अर्थ - कर्म करने और पूजा-पाठ करने में आनाकानी नहीं करनी चाहिए।
24- कर सेवा तो खा मेवा। अर्थ - सेवा करने वाले को अच्छा फल मिलता है।
25- करे कोई भरे कोई। अर्थ - किसी की करनी का फल कोई और भोगे।
26- करे दाढ़ीवाला, पकड़ा जाए जाए मुंछोंवाला। अर्थ - किसी के अपराध के लिए किसी दूसरे को दोषी ठहराया जाता है।
27- कल किसने देखा है। अर्थ - भविष्य में क्या होगा , कौन जानता है। कोई नहीं जानता कि कल क्या होने वाला है।
28- कलाल की दुकान पर पानी पियो तो भी शराब का शक होता है। अर्थ - बुरी संगत में कलंक लगता ही है। शराब की दुकान पर जाओ तो सभी सोचते हैं कि शराब पीने गया होगा।
29- कहने से धोबी गधे पर नहीं चढ़ता। अर्थ - मनमनी करने वाला दूसरों की बात नहीं मानता।
30- कहाँ राम–राम, कहाँ टाँय-टाँय। अर्थ - उच्च कोटि की वस्तु से किसी निम्न- कोटि की वस्तु की तुलना नहीं की जा सकती।
31- कहीं की ईंट, कहीं का रोड़ा, भानुमती ने कुनबा जोड़ा। अर्थ - बेमेल चीज़ें को जोड़-जोड़कर इकट्ठा कर लेना।
32- कहीं गधा भी घोड़ा बन सकता है। अर्थ - बुरा या छोटा आदमी कभी अच्छा या बड़ा नहीं बन सकता।
33- कहें खेत की, सुने खलिहान की। अर्थ - कहा कुछ गया और कुछ समझा कुछ गया।
34- काग़ज़ की नाव नहीं चलती। अर्थ - बेईमानी या धोखेबाज़ी ज़्यादा दिन तक नहीं चल सकती।
35- काजल की कोठरी में कैसो हू सयानो जाय,
एक लीक काजल की लगि है सो लागि है।
अर्थ - बुरी संगत में रहने से कभी न कभी कलंक अवश्य लग ही जाता है।
36- क़ाज़ी जी दुबले क्यों शहर के अंदेशे से। अर्थ - अपनी चिन्ता न करके दूसरों की चिन्ता करना।
37- काठ की हाँडी एक ही बार चढ़ती है। अर्थ - धोखेबाज़ी हर बार नहीं चल सकती है।
38- कान में तेल डाले बैठे हैं। अर्थ - कुछ सुनते ही नहीं , दुनिया की ख़बर ही नहीं।
39- काम का ना काज का , दुश्मन अनाज का। अर्थ - निकम्मा आदमी।
40- क़ाबुल में क्या गधे नहीं होते। अर्थ - कुछ न कुछ बुराई सब जगह होती है।
41- काम को काम सिखाता है। अर्थ - काम करते-करते अनुभव से आदमी होशियार हो जाता है।
42- काल के हाथ कमान, बूढ़ा बचे न जवान,
काल न छोड़े राजा, न छोड़े रंक।
अर्थ - मृत्यु सब को आती है।
43- काला अक्षर भैंस बराबर। अर्थ - पढ़ा लिखा ना होना।
44- काली के ब्याह को सौ जोखो। अर्थ - एक दोष होने पर लोग अनेक दोष निकाल देते हैं।
45- किया चाहे चाकरी राखा चाहे मान। अर्थ - स्वाभिमान की रक्षा नौकरी में नहीं हो सकती।
46- किस खेत का बथुआ है, किस खेत की मूली है। अर्थ - अरे ,वह तो किसी कीमत का नहीं है अर्थात नगण्य है।
47- किसी का घर जले कोई तापे। अर्थ - किसी के दु:ख और परेशनी से दूसरे का खुश होना।
48- कौड़ी-कौड़ी पर जान देना। अर्थ - कंजूस होना।
49- कुँए की मिट्टी कुँए में ही लगती है। अर्थ - लाभ जहाँ से होता है वहीं खर्च भी हो जाता है।
50- कौए उड़ाना। अर्थ - घटिया या छोटे काम करना।
51- कुत्ता भी दुम हिलाकर बैठता है। अर्थ - सफ़ाई सब को पसंद होती है।
52- कुत्ते की दुम बारह बरस नली में रखो तो भी टेढ़ी की टेढ़ी। अर्थ - लाख प्रयत्न करो, कुटिल व्यक्ति अपनी कुटिलता नहीं छोड़ता।
53- कुत्ते को घी नहीं पचता। अर्थ - नीच आदमी उच्चे पद पाकर दूसरों को बेवकूफ समझने लगता है।
54- कुत्ते के भौकनें से हाथी नहीं डरते। अर्थ - महापुरुष नीच व्यक्ति के द्वारा निंदा करने से नहीं घबराते हैं।
55- कोल्हू का बैल। अर्थ - दिन रात काम में लगे रहने वाला।
56- कै हंसा मोती चुगे, कै भूखा मर जाय। अर्थ - प्रतिष्ठित व्यक्ति अपनी मर्यादा में रहता है। स्वाभिमान को छोड़कर नहीं जीना पसंद करता।
57- कोई मरे कोई जीवे, सुथरा घोल बताशा गावे। अर्थ - सबको अपने सुख-दु:ख से मतलब होता है। दूसरों के दु:ख की कोई चिन्ता नहीं करता।
58- कोई माल मस्तख़, कोई हाल मस्तत। अर्थ - कोई अमीरी से संतुष्ट, कोई ग़रीबी में भी संतुष्ट है।
59- कोठी वाला रोवे, छप्पर वाला सोवे। अर्थ - धनवान धन होने पर भी चिंतित रहता है, ग़रीब धन ना होने पर भी निश्चिंत रहता है।
60- कोयल होय न उजली, सौ मन साबुन लाइ। अर्थ - कोशिश करने पर भी स्वभाव नहीं बदलता है।
61- कोयलों की दलाली में हाथ काले। अर्थ - बुरों की संगत से भले आदमी को भी कलंक लग जाता है।
62- कौड़ी नहीं गाँठ, चले बाग़ की सैर। अर्थ - पूरे साधन नहीं और काम शुरू कर दिया।
63- कौन कहे राजा जी नंगे हैं। अर्थ - बड़े लोगों की बुराई करने कि हिम्मत किसी की नहीं होती।
64- कौआ चला हंस की चाल, भूल गया अपनी भी चाल। अर्थ - दूसरों की नकल करने से व्यक्ति अपना व्यक्तित्व भी खो बैठता है।
65- क्या पिद्दी और क्या पिद्दी का शोरबा। अर्थ - तुच्छ वस्तु या व्यक्ति से बड़ा काम नहीं हो सकता है।
66- का वर्षा जब कृषि सुखानी। अर्थ - अवसर निकलने जाने पर सहायता मिलना व्यर्थ होता है।
67- कच्ची गोली नहीं खेलना। अर्थ - अनुभवहीन नहीं होना, पारंगत होना।
68- कट जाना। अर्थ - शर्मिंदा होना, शर्मिंदा होकर सामने ना पड़ना।
69- कटे पर नमक छिड़कना। अर्थ - दु:खी व्यक्ति को और अधिक दु:खी करना।
70- कढ़ी का सा उबाल। अर्थ - मामूली से जोश में आना।
71- क़दम उखड़ना। अर्थ - भाग खड़े होना।
72- कन्नी काटना। अर्थ - सामने ना पड़ना, कतरा कर निकल जाना।
73- कमर कसना। अर्थ - पूरी तरह तैयार हो जाना।
74- कलम का धनी। अर्थ - अच्छा लेखक होना, भाषा पर पकड़ होना।
75- कलम तोड़ना। अर्थ - बहुत बढ़िया लिखना।
76- कली खिलना। अर्थ - बहुत खुश होना।
77- कलेजा ठंडा होना। अर्थ - मन को सुख, शांति और सकून मिलना।
78- कलेजा धक से रह जाना। अर्थ - डर जाना, घबरा जाना।
79- कलेजा मुँह को आना। अर्थ - दु:ख होना, परेशान होना।
80- कलेजा का टुकड़ा। अर्थ - बहुत प्यारा बेटा होना।
81- कलेजे पर साँप लोटना। अर्थ - डाह से कुढ़ना, जलन होना।
82- कहा-सुनी होना। अर्थ - लड़ाई झगड़ा होना।
83- काँटा दूर होना। अर्थ - बाधा दूर होना, रूकावटें हट जाना।
84- काँटे बिछाना। अर्थ - रूकावटें और अड़चने पैदा करना।
85- काँटों पर लेटना। अर्थ - बेचैन होना, परेशान होना।
86- काँटों पर घसीटना। अर्थ - संकट, मुसीबत में डालना।
87- काग़ज़ी घोड़े दौड़ाना। अर्थ - केवल लिखा-पढ़ी करते रहना।
88- काजल की कोठरी। अर्थ - कलंक लगने का स्थान।
89- काठ का उल्लू। अर्थ - महामूर्ख होना, बुद्धि ना होना।
90- काठ मार जाना। अर्थ - हतप्रभ हो जाना, अचम्भित होना।
91- कान कतरना। अर्थ - मात देना, बेवकूफ बनाना।
92- कान खड़े होना। अर्थ - चौकन्ना होना।
93- कान खोलना। अर्थ - सावधान कर देना।
94- कान गरम करना। अर्थ - पिटाई करना।
95- कान देना। अर्थ - ध्यान से सुनना।
96- कान पकड़ना। अर्थ - ग़लती मान लेना।
97- कान पर जूँ तक न रेंगना। अर्थ - कुछ भी परवाह न करना।
98- कान भरना। अर्थ - चुगली करना।
99- कान में बात डाल देना। अर्थ - सुना देना, कह देना।
100- कान में तेल डालकर बैठना। अर्थ - सुनकर भी सुनी हुई बात पर ध्यान न देना।
101- कान में फूँकना। अर्थ - चुपचाप से कह देना।
102- कान लगाना। अर्थ - ध्यान देकर सुनना।
103- काफ़ूर होना। अर्थ - गायब हो जाना।
104- कोर दबना। अर्थ - दबाव में होना।
105- काम तमाम करना। अर्थ - मार डालना।
106- काया पलट जाना। अर्थ - बदल कर दूसरा ही रूप हो जाना।
107- काल कवलित होना। अर्थ - मर जाना।
108- काल के गाल में जाना। अर्थ - मर जाना।
109- काला नाग। अर्थ - खोटा या घातक व्यक्ति ।
110- काला मुँह करना। अर्थ - बदनामी करना, नाम ख़राब करना।
111- काले कोसों। अर्थ - बहुत दूर।
112- किताबी कीड़ा होना। अर्थ - केवल पढ़ने में ही लगे रहना।
113- किरकिरी हो जाना। अर्थ - विघ्न पड़ना।
114- किस दर्द या मर्ज़ की दवा। अर्थ - किसी भी काम का न होना।
115- क़िस्मत फूटना। अर्थ - बुरे दिन आना।
116- कीचड़ उछालना। अर्थ - निंदा करना।
117- कुआँ खोदना। अर्थ - किसी को हानि पहुँचाने की कोशिश करना।
118- कुएँ में गिरना। अर्थ - विपत्ति में पड़ जाना।
119- कुएँ में भाँग पड़ना। अर्थ - सबकी बुद्धि मारी जाना।
120- कुछ उठा न रखना। अर्थ - कोई कसर या कमी न छोड़ना।
121- कुत्ते की दुम। अर्थ - जैसा है वैसा ही रहना, बदलाव ना आना।
122- कुत्ते की मौत मरना। अर्थ - बुरी तरह मरना।
123- कूच कर जाना। अर्थ - चले जाना।
124- कूप मंडूक होना। अर्थ - सीमित ज्ञान या अनुभव वाला होना।
125- कोई दम भर का मेहमान होना। अर्थ - मरने के क़रीब होना।



कहावत लोकोक्ति मुहावरे अर्थ
1- खिसयानी बिल्ली खंभा नोचे
अर्थ - सफलता न मिलने पर दूसरों को दोष देना।
2- खोदा पहाड़ निकली चुहिया अर्थ - उम्मीद से बहुत कम फल मिलना।
3- खेती करे खाद से भरे, सो मन कोठी में ले धर…
खाद पड़े तो होवे खेती, नहीं तो रहे नदी की रेती॥
अर्थ - किसान को खेत में ख़ूब खाद डालनी चाहिए, जिससे ज़्यादा फ़सल घर में आये। बिना खाद के धरती सूखी नदी के रेत की तरह रहती है।
4- खेती करै वणिक को धावै, ऐसा डूबै थाह न पावै। अर्थ - कृषक बनिये के कर्ज़ से कभी नहीं निकल पाता है।
5- खाद पड़े तो खेत, नहीं तो कूड़ा रेत। अर्थ - खेत में खाद ड़ाली जाती है तो फ़सल अच्छी होती है।।
6- खनिके काटै घनै मोरावै।
तव बरदा के दाम सुलावै।।
अर्थ - ईख को जड़ से खोदकर काटने और ख़ूब निचोड़कर पेरने से ही लाभ होता है, तभी बैलों का दाम भी वसूल होता है।
7- खग जाने खग ही की भाषा।। अर्थ - अपने वर्ग के लोग ही एक दूसरे को समझ सकते हैं।
8- ख़्याली पुलाव से पेट नहीं भरता।। अर्थ - केवल सोचने से काम पूरा नहीं हो जाता।
9- ख़रबूज़े को देखकर ख़रबूज़ा रंग बदलता है। अर्थ - एक दूसरे की देखा देखी काम करना।
10- खई खोजे और को ताको खुब तैयार। अर्थ - जो दूसरों का बुरा चाहता है उसका अपना बुरा होता है।
11- ख़ाक डाले चाँद नहीं छिपता। अर्थ - अच्छे आदमी की निंदा करने से उसका कुछ नहीं बिगड़ता।
12- खाल ओढ़ाए सिंह की, स्यार सिंह नहीं होय। अर्थ - ऊपरी रूप बदलने से गुण अवगुण नहीं बदलते।
13- ख़ाली बनिया क़यास करे,
इस कोठी का धान उस कोठी में धरे।
अर्थ - बेकाम आदमी उल्टे‍ –सीधे काम करता रहता है।
14- ख़ुदा की लाठी में आवाज़ नहीं। अर्थ - कोई नहीं जानता की भगवान कब , कैसे और क्यों दंड देता है।
15- ख़ुदा गंजे को नाख़ून न दे। अर्थ - ओछा और बेसमझ आदमी अधिकार पाकर अपनी ही हानि कर बैठता है।
16- ख़ुदा देता है तो छप्पर फाड़ कर देता है। अर्थ - ईश्वर जिसको चाहे मालामाल कर दे।
17- खुशामद से ही आमद है।। अर्थ - खुशामद से ही धन आता है।
18- खूंटें के बल बछड़ा कूदे। अर्थ - किसी की शह पाकर ही आदमी अकड़ दिखाता है।
19- खेत खाए गदहा, मार खाए जुलाहा। अर्थ - दोष किसी का दंड किसी और को।
20- खेती,खसम लेती। अर्थ - कोई काम अपने हाथ से करने पर ही ठीक होता है।
21- खेल –खिलाड़ी का, पैसा मदारी का। अर्थ - मेहनत किसी की लाभ किसी दूसरे का।
22- खेत रहना। अर्थ - रणभूमि में मारा जाना।
23- खेल खेलना। अर्थ - परेशान करना।
24- खटाई में पड़ना। अर्थ - टल जाना।
25- ख़्याली पुलाव पकाना। अर्थ - व्यर्थ की कल्पना करना।
26- ख़ाक छानना। अर्थ - मारा-मारा फिरना।
27- ख़ाक में मिलाना। अर्थ - नष्ट करना।
28- खिचड़ी पकाना। अर्थ - अंदर ही अंदर षड्यंत्र रचना।
29- खुले हाथ। अर्थ - उदार होना।
30- खूँटे के बल कूदना। अर्थ - कोई सहारा मिलने पर अकड़ना।
31- ख़ून का घूँट पीना। अर्थ - ग़ुस्सा पचा जाना।
32- ख़ून खुश्क होना। अर्थ - भयभीत होना।
33- ख़ून खौलना / उबलना। अर्थ - जोश में आना।
34- ख़ून-पसीना एक करना। अर्थ - कड़ी मेहनत करना।


1 comment:

  1. सेवा में श्री मान जी आपका ब्लॉग बहुत ही अच्छा लगा आप लिखते रहिएगा. गागर में सागर भरने के लिए धन्यावाद

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