रामधारी सिंह दिनकर
- कविता गाकर रिझाने के लिए नहीं समझ कर खो जाने के लिए है। - रामधारी सिंह दिनकर
- कविता वह सुरंग है जिसमें से गुज़र कर मनुष्य एक विश्व को छोड़ कर दूसरे विश्व में प्रवेश करता है। - रामधारी सिंह दिनकर
- दुष्टो का बल हिन्सा है, शासको का बल शक्ती है, स्त्रीयों का बल सेवा है और गुणवानो का बल क्षमा है। - रामधारी सिंह दिनकर
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